महर्षि दयानंद के सिद्धान्त को अपनाने से समाज टूटने से बचेगा
News By : Vimal Kumar
आगरा। स्वामी दयानन्द सरस्वती का एकमात्र लक्ष्य समाज को अंधविश्वास की त्रासदी से मुक्त करवाकर वेदों में उल्लेखित सत्य के मार्ग पर अग्रसर करना था। राष्ट्रभक्त ऋषि दयानंद स्वराज को सुराज से बेहतर मानते थे। उन्होंने स्वदेश, स्वभाषा, स्व-धर्म व स्व-संस्कृति पर गर्व करना सिखाया। सावरकर, सुभाषचन्द्र बोस ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता बताया। ये कहना था मुरैना से आए वैदिक प्रवक्ता आचार्य प्रशांत शर्मा का। वे विजय नगर स्थित विजय क्लब में आर्य समाज मंदिर नाई की मंडी शाखा की ओर से आयोजित तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव के समापन पर बोल रहे थे। वेद प्रवक्ता स्वामी आचार्य ब्रजेश ने कहा कि यदि मनुष्य आज स्वामी दयानंद द्वारा दर्शाये गए सिद्धांत को अपनाए तो समाज टूटने की अपेक्षा जुड़ेगा तथा उसमें जातीय भेद एवं अहंकार नहीं रहेगा। अमृतसर से आए भजनोपदेशक विवेक पथिक के 'जग में वेदों की जब तक निशानी रहे महर्षि की अमर ये कहानी रहे। भजन को सभी ने खूब सराहा।
आर्य समाज नाई की मंडी का वार्षिकोत्सव सम्पन्न
प्रधान सीए मनोज खुराना ने बताया कि वैदिक प्रवक्ता आचार्य ब्रजेश महाराज ने अपने प्रवचन से वैदिक ज्ञान की अमृत वर्षा की। मंत्री अनुज आर्य ने बताया कि महर्षि दयानन्द की 200वीं जन्म जयंती वर्ष के तहत तीन दिवसीय कार्यक्रम में विश्व शांति के लिए 21 कुण्डिया यज्ञ, प्रवचन और संगीतमय भजनों का धर्मलाभ शहरभर के आर्यजनों ने प्राप्त किया। आर्य रत्न का सम्मान ओल्ड ईदगाह कॉलोनी के उमेश कुलश्रेष्ठ को मिला। संचालन अश्वनी आर्य ने किया।
दयानन्द ने किया था स्वराज शब्द का इस्तेमाल
आचार्य डॉ वेद पाल ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती प्रथम महापुरुष थे जिन्होंने स्वराज शब्द का प्रयोग किया। स्वामी दयानंद सरस्वती धर्म सुधारक ही नहीं, समाज सुधारक और सच्चे राष्ट्रवादी भी थे। बालगंगाधर तिलक ने कहा है कि स्वराज का मंत्र सबसे पहले स्वामी दयानंद सरस्वती ने ही दिया था। सरदार पटेल का कहना था कि भारत की स्वतंत्रता की नींव वास्तव में स्वामी दयानन्द सरस्वती ने ही रखी थी। इस अवसर पर विकास आर्य, विजय अग्रवाल, राजेश गुप्ता, राजीव दीक्षित, सुधाकर गुप्ता, भारत भूषण सामा, वीरेंद्र कनवर, अवनींद्र गुप्ता, सुभाष अग्रवाल, उमेश पाठक, यतेंद्र आर्य, सुशील असीजा, प्रेमा कनवर, विद्या गुप्ता, कान्ता बंसल, नीरू शर्मा, मिथलेश दुबे आदि मौजूद रहे।
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