डॉ. मानिक चन्द वीर संस्थान ने आयोजित किया 127 वीं जन्म जयंती समारोह
News By : Vimal Kumar
आगरा। डॉ. मानिकचंद वीर ने चर्मकार जाति को जाटव वीर शब्द से सम्बोधित किया। सन् 1936 जाटव शब्द को मान्यता दिलाई और ‘जाटव महासभा’ की स्थापना की। 1943 में राय बहादुर की पदवी से सम्मानित किया गया। सन् 1952 में पहले लोक सभा चुनाव में संवाई माधौपुर से कृषिकार लोकपार्टी से सांसद चुने गये। ये कहना था डॉ. मानिक चन्द वीर संस्थान प्रबंध समिति की ओर से दादा साहब डॉ. मानिकचन्द वीर के 127वां जन्मोत्सव में महापौर हेमलता दिवाकर कुशवाह का। सोमवार को लोहामंडी खतैना स्थित संस्थान परिसर में आयोजित जन्मजयंती समारोह का उद्घाटन महापौर हेमलता दिवाकर, मुख्य अतिथि एफमेक के चेयरमैन पूरन डावर व पूर्व स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. रामबाबू हरित ने तथागत बुद्ध के चित्र समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
विद्यालय के जीर्णोद्धार करने का दिलाया विश्वास
पूरन डावर ने कहा कि पढ़ लिखकर अपने हुनर को नहीं छोड़ना चाहिए बल्कि शिक्षित होकर अव्यवस्थित उद्यम को परम्परिक कौशल को व्यवस्थित होकर करने की जरुरत है। अब घर घर में जूता बनने का समय आने वाला है बस उत्थान के कार्य करने की आवश्यता है। डॉ. मानिकचन्द वीर द्वारा 1940 में स्थापित छात्रावास की बिल्डिंग जर्जर स्थिति में है, हम इसका सम्पूर्ण नक्शा बनवाकर इसके जल्द जीणोद्धार कराएँगे। महापौर हेमलता दिवाकर की विद्यालय से जुड़ने की इच्छा का प्रबंध समिति ने स्वागत किया।
अध्यक्षता कर रहे पूर्व स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. रामबाबू हरित ने कहा कि दादा साहब ने शिक्षा के महत्व को समझते हुए 1937-38 में जाटव वीर इन्स्टीट्यूशन की स्थापना की और 1940 में खतैना में एक छात्रावास भी खुलवाया। नौजवानों को नौकरी दिलाने हेतु उ.प्र. विधान सभा के सामने सत्याग्रह भी किया साथ में धरना प्रदर्शन कर गिरफ्तारी भी दी थी । समारोह का उद्देश्य युवा पीढ़ी को दादा साहब के समाज के प्रति दिए समर्पण से अवगत करना है। दादा साहब डॉ. मानिकचन्द वीर के जन्मोत्सव पर मंच पर समाज को जागरूक करने वाले शिक्षाप्रद नाटक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। संचालन महासचिव सुरेश बाबू सेहरा ने की। धन्यवाद कालेज अध्यक्ष राजपाल सिंह निमेष ने दिया। इस अवसर पर संरक्षक पूरन सिंह, अध्यक्ष सीता राम, सोवरन सिंह, श्याम सिंह, श्रीचन्द चौधरी, अर्जुन सिंह, बाबू लाल, राम प्रसाद , होडल सिंह, राजा राम, अजेंद्र सिंह सूर्या, राजकुमार, लक्ष्मी नारायण बौद्ध, अखंड प्रताप सिंह, श्याम बिहारी आदि मौजूद रहे।
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