चेहरे पर वेदों की आभा, तुम भारत की परछाई..
News By : Vimal Kumar
आगरा : भारत की सनातन परंपरा, राजपूताना गौरव और वैदिक संस्कृति को आज भी जीने वाले बाल्टिक देशों में से एक प्रमुख राष्ट्र लिथुआनियां के साथ स्नेह-संबंध जोड़ने की अनूठी सांस्कृतिक पहल ताजनगरी में रविवार को कला और साहित्य को समर्पित अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती द्वारा की गई। संस्कार भारती आगरा पश्चिम शाखा ओर से बाग फरजाना स्थित संस्कृति भवन में रविवार को भारत-लिथुआनिया सांस्कृतिक संगीत समारोह आयोजित किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बाँके लाल गौड़ और समाजसेवी धन कुमार जैन ने मां भारती के समक्ष दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। लिथुआनिया में भारतीय आत्मा की झलक मिली जब समारोह में छह सदस्यीय लिथुआनियन कल्चरल ग्रुप कुलग्रिंडा ने स्वातंत्र्यसमर के लिए तैयार किए गए लोकगीतों के साथ वंदे मातरम की सामूहिक प्रस्तुति से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
भाव स्वर ताल संगम ने बांधा समां..
कार्यक्रम संयोजक ओम स्वरूप गर्ग ने लिथुआनियां सांस्कृतिक दल का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि "दूर देश से आए हो पर, तुम हो अपने ही भाई। चेहरे पर वेदों की आभा, तुम भारत की परछाई.. आपसे हमारा सनातन नाता है। आपके भीतर हमें भारत नजर आता है।" प्रो. नीलू शर्मा के निर्देशन में डॉ. शिवेंद्र प्रताप त्रिपाठी, राहुल निवेरिया, एसडी श्रीवास्तव, रुचि शर्मा और विदुर अग्निहोत्री ने तबला, वायलिन, सितार, कथक और गायन के मणिकांचन संयोग से भाव स्वर ताल संगम का ऐसा अद्भुत आयोजन किया कि आगरा में पहली बार की गई इस अद्भुत प्रस्तुति पर सब झूम उठे।
ये रहे मौजूद
संचालन डॉ. अंशू अग्रवाल ने किया। इस अवसर पर रुण कुमार शर्मा, प्रांतीय संरक्षक योगेश अग्रवाल, स्वागताध्यक्ष नीतेश अग्रवाल, इंटरनेशनल सेंटर फॉर कल्चरल स्टडीज के शोध अधिकारी रविशंकर, कार्यक्रम समन्वयक आलोक आर्य, सह समन्वयक एड. अमित जैन, राजीव सिंघल आदि मौजूद रहे।
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